
बिलासपुर | भारत का आईना संवाददाता | बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (जीजीयू) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ‘मुफ़्त’ लैपटॉप योजना के नाम पर 400 से अधिक फैकल्टी सदस्यों से ₹21,000 प्रति व्यक्ति ‘दान’ लेने का आरोप लग रहा है।

सीरियल नंबर और एमआरपी गायब
फैकल्टी को दिए गए लैपटॉप से एमआरपी और सीरियल नंबर की पर्चियां काट दी गई हैं। इससे वास्तविक कीमत छिपाई जा रही है। आरोप है कि ₹40,000 के लैपटॉप को ₹1.30 लाख दिखाकर वितरित किया जा रहा है।
केंद्र सरकार की योजना का ‘अघोषित वसूली’ में बदलना
केंद्र सरकार, वित्त मंत्रालय और व्यय विभाग ने जुलाई 2023 में अधिकारियों व कर्मचारियों को निःशुल्क लैपटॉप/नोटबुक देने की योजना शुरू की थी। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे कथित तौर पर ‘दान’ वसूली के जरिये लागू किया।फैकल्टी के मुताबिक, लैपटॉप की तकनीकी क्षमता भी कमजोर है – सिर्फ 128 MB ग्राफिक कार्ड होने से सामान्य इमेज आधारित काम भी ठीक से नहीं हो पा रहा।
‘दान’ न देने पर दबाव
कई प्रोफेसरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ₹21,000 की राशि विश्वविद्यालय के खाते में ऑनलाइन जमा करने के लिए दबाव बनाया गया। कुछ ने ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉट भी साझा किए हैं। उनका कहना है कि पैसा न देने पर प्रमोशन व अन्य कार्य प्रभावित होने का डर दिखाया गया।
फैकल्टी में नाराज़गी, पारदर्शिता पर सवाल
इस पूरे मामले से फैकल्टी में नाराज़गी बढ़ रही है। कई का कहना है कि ‘दान’ शब्द का इस्तेमाल कर वसूली को वैध बनाने की कोशिश की जा रही है। जबकि केंद्र सरकार की योजना स्पष्ट रूप से निःशुल्क है।
प्रशासन का पक्ष
प्रो. मनीष श्रीवास्तव, मीडिया प्रभारी, जीजीयू ने कहा – “लैपटॉप बेहतर शैक्षणिक गतिविधियों के लिए वितरित किए गए हैं। मैंने भी लैपटॉप लेने के बाद शैक्षणिक गतिविधियों के लिए ‘दान स्वरूप’ ₹21,000 जमा किए हैं। जबरदस्ती किसी से पैसे नहीं लिए जा रहे। लैपटॉप की एमआरपी क्यों हटाई गई, इसकी जानकारी ली जाएगी।”




