MP सिविल जज भर्ती 2022: SC-ST अभ्यर्थियों को बड़ी राहत
हाई कोर्ट ने आरक्षण और मेरिट अनियमितताओं पर नई सूची बनाने का दिया आदेश

भारत का आईना। न्यूज ब्यूरो।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 की नियुक्तियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने भर्ती में हुई कथित अनियमितताओं, शत-प्रतिशत आरक्षण लागू करने के तरीके, और आरक्षित वर्ग के मेधावी उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में शामिल न करने जैसे मुद्दों पर गौर किया।
कोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण निर्देश:
-
हाई कोर्ट ने अपने पूर्व के अंतरिम आदेश को यथावत रखा, जिसके तहत सभी सिविल जज नियुक्तियाँ इस विचाराधीन याचिका के अंतिम फैसले के अधीन कर दी गई थीं।
-
सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए, कोर्ट ने परीक्षा प्रभाग को SC-ST अभ्यर्थियों के मामले पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया।
-
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि SC-ST वर्ग के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम अर्हता अंकों (Minimum Qualifying Marks) में शिथिलता (relaxation) करते हुए एक नई सूची तैयार की जाए।
-
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने SC-ST वर्ग के अभ्यर्थियों के सफल न होने की कम संख्या को देखते हुए उनके लिए निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है।
याचिका का आधार और पद संख्या:
एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नामक संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका में भर्ती नियम 1994 में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है। याचिका के अनुसार, कुल 199 पदों पर भर्ती विज्ञापित की गई थी, जिनमें से 138 पद बैकलॉग के थे।
-
अनारक्षित (Unreserved): 48 पद (17 बैकलॉग)
-
SC: 18 पद (11 बैकलॉग)
-
ST: 121 पद (109 बैकलॉग)
-
OBC: 10 पद (1 बैकलॉग)
याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और पुष्पेंद्र कुमार शाह ने बताया कि प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के तीनों चरणों के बाद केवल 79 अभ्यर्थी ही योग्य पाए गए। इनमें OBC के 15, SC के 3, और ST वर्ग से एक भी अभ्यर्थी शामिल नहीं था। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि अनारक्षित वर्ग की सीटों पर आरक्षित वर्ग के किसी भी मेधावी (Meritorious) अभ्यर्थी का चयन नहीं किया गया है।
अगली सुनवाई:
याचिका पर अगली सुनवाई दिसंबर के प्रथम सप्ताह में होगी।




