बैंक की मनमानी से मोदी की पीएम सूर्य घर सोलर योजना खटाई में !
बैंक मैनेजरों की मनमानी से हितग्राही और वेंडर दोनों परेशान

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश के छह लाख घरों में सोलर सिस्टम लगाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन बैंकों की टालमटोल और मनमानी रवैये के चलते योजना पटरी से उतरती नजर आ रही है।


जानकारी के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा आरंग शाखा का कहना है कि वह किसी एक कंपनी के केवल दो प्रकरण ही स्वीकृत करेगा। वहीं इंडियन बैंक अभनपुर नक्शा-खसरा, बी-1 जैसे दस्तावेजों की मांग कर महीनों तक हितग्राहियों के फाइल अटका कर रख देता है। यूनियन बैंक और सेंट्रल बैंक की स्थिति भी लगभग यही है।
इस रवैये से न केवल हितग्राही निराश हो रहे हैं, बल्कि योजना का असली लाभ लोगों तक समय पर नहीं पहुँच पा रहा है। कई बैंक तो हितग्राहियों को गुमराह तक करते हैं कि “सब्सिडी नहीं मिलेगी”, जिससे आमजन का भरोसा डगमगा रहा है।
वहीं, दूसरी ओर वेंडर कंपनियाँ जैसे जीडीएस सोलर प्राइवेट लिमिटेड, समय पर इंस्टॉलेशन और सरकारी प्रक्रिया पूरी करने में मेहनत कर रही हैं। लेकिन बैंकों की ढिलाई और फाइल अटकाने की नीति से उन्हें भी काम रोकने की मजबूरी का सामना करना पड़ सकता है।
वेंडरों का कहना है कि “हितग्राही सीधे हमसे पूछते हैं कि एक माह पहले कागज देने के बाद भी उनके घर पर सोलर सिस्टम कब लगेगा। बैंक की लापरवाही से हमारी छवि भी प्रभावित हो रही है।”
हालांकि, इस बीच एक सकारात्मक उदाहरण भी सामने आया है। भारतीय स्टेट बैंक अभनपुर शाखा सोलर लोन के मामलों में त्वरित कार्यवाही कर रहा है। न केवल हितग्राही को तुरंत स्वीकृति मिलती है, बल्कि वेंडरों से भी सम्मानपूर्वक आग्रह किया जाता है कि “प्रकरण लाइए, तत्काल कार्रवाई होगी।”
विशेषज्ञों का कहना है कि 2 लाख रुपये तक के लोन के लिए किसी प्रकार के आय प्रमाण पत्र या अतिरिक्त कागजात की आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद एसबीआई को छोड़ बाकी अन्य बैंकों का टालमटोल रवैया सरकार की छवि धूमिल कर रहा है और प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना – “पीएम सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना” की सफलता पर सवाल खड़े कर रहा है।
जरूरत है कि शासन-प्रशासन और बैंक प्रबंधन तत्काल हस्तक्षेप कर प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाए, ताकि प्रदेश के लाखों घरों तक सोलर ऊर्जा पहुँच सके और हरित ऊर्जा के लक्ष्य को समय पर पूरा किया जा सके।
“हम जीडीए सोलर प्रा. लि. में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं ताकि हर घर ‘सोलर होम’ बन सके। यह न केवल हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगा, बल्कि केंद्र और राज्य सरकार की प्रमुख योजना — पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को सफलतापूर्वक धरातल पर उतारने का प्रयास है।
लेकिन अफसोस की बात है कि भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रबंधक इस योजना को लेकर संकोच और आरक्षण दिखा रहे हैं। छोटे-छोटे कारणों पर लोन आवेदन खारिज किए जा रहे हैं, जिससे हितग्राही और वेंडर दोनों ही निराश हैं।
यदि बैंकिंग प्रणाली सहयोग करे तो छत्तीसगढ़ में हर घर सौर ऊर्जा से जगमगा सकता है।”
— घनश्याम चंद्राकर, जीडीए सोलर प्रा. लि.




