गोविंदा के कार्य-व्यवहार का विश्लेषण: हिमानी शिवपुरी के किस्सों के आईने में
गोविंदा लेट-लतीफ़ी: अरुणा ईरानी घर से लाईं, डेविड धवन हुए नाराज़; हिमानी शिवपुरी ने खोले 90s के राज़।

भारत का आईना । राष्ट्रीय । न्यूज ब्यूरो।
अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी, जिन्होंने 90 के दशक की कई यादगार फिल्मों में काम किया है, ने अपने दशकों लंबे करियर के दौरान हिंदी सिनेमा के कई बड़े सितारों के साथ काम करने के अनुभवों को साझा किया है। उनके इन अनुभवों का साझाकरण, विशेष रूप से गोविंदा (चीची) के साथ काम करने के किस्से, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के कामकाज और सितारों के निजी व्यवहार का एक रोचक और अंतरंग ‘आईना’ पेश करते हैं।
गोविंदा की लेट–लतीफी: सेट पर देरी का सच
हिमानी शिवपुरी ने एएनआई के साथ अपनी बातचीत में गोविंदा से जुड़े एक ऐसे पहलू को सामने रखा, जो अक्सर सुर्खियों में रहा है – उनका सेट पर देर से आना। यह एक ऐसा किस्सा है जो केवल गोविंदा के व्यक्तित्व को ही नहीं, बल्कि उस दौर के फिल्म निर्माण की अनौपचारिक संस्कृति को भी दर्शाता है।
शिवपुरी ने एक फिल्म की शूटिंग का अनुभव साझा किया, जिसे अरुणा ईरानी प्रोड्यूस कर रही थीं और कुकू कोहली डायरेक्ट कर रहे थे। उन्हें रवीना टंडन, अरुणा ईरानी और कुकू कोहली के साथ हैदराबाद जाना था, क्योंकि अगले ही दिन शूटिंग शुरू होनी थी। सभी एयरपोर्ट पर पहुंच गए, लेकिन गोविंदा नहीं आए।
“गोविंदा (चीची) लेट आने की वजह से चर्चा में रहते थे।… अरुणा जी उन्हें ढूंढ रही थीं। आखिरकार उन्होंने हमें वहां से रवाना किया और खुद गोविंद के घर गईं। अरुणा जी गोविंदा को अपने साथ लेकर आईं।”
यह घटना दर्शाती है कि गोविंदा के लिए जहां समय का पालन करना एक चुनौती थी, वहीं सह-कलाकार और निर्माता उन्हें कितना महत्व देते थे। निर्माता अरुणा ईरानी का खुद गोविंदा को घर से लेकर आना, उनके प्रति एक बड़े कलाकार के तौर पर रखे गए सम्मान और काम पूरा करने की लगन को दिखाता है, भले ही इसके लिए व्यक्तिगत प्रयास क्यों न करने पड़ें। यह उस समय के इंडस्ट्री के रिश्तों को दर्शाता है, जो पेशेवर से अधिक पारिवारिक और व्यक्तिगत थे।
डेविड धवन की नाराज़गी: पेशेवर रिश्तों पर असर
गोविंदा की इस आदत का असर उनके सबसे सफल सहयोगी, निर्देशक डेविड धवन के साथ भी हुआ। हिमानी शिवपुरी ने बताया कि डेविड धवन गोविंदा के लेट आने की वजह से स्विट्जरलैंड में फ़िल्म ‘हीरो नं. 1’ के सेट पर नाराज हो गए थे।
डेविड धवन और गोविंदा की जोड़ी ने 90 के दशक में बॉक्स ऑफिस पर राज किया था, लेकिन इस साझेदारी में भी गोविंदा की यह आदत तनाव का कारण बनी। यह किस्सा इस बात का प्रमाण है कि भले ही कलाकार कितने भी प्रतिभाशाली क्यों न हों, उनकी गैर-पेशेवर आदतें सबसे मजबूत पेशेवर रिश्तों में भी दरार डाल सकती हैं। डेविड धवन की नाराज़गी एक निर्देशक के तौर पर उनके दबाव और समय पर काम खत्म करने की व्यावसायिक आवश्यकता को दर्शाती है।
सेट पर जादू: जब गोविंदा आते थे
लेट आने की शिकायतों के बावजूद, हिमानी शिवपुरी ने गोविंदा की प्रतिभा और सेट पर उनके प्रभाव की भी मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
“जब गोविंदा सेट पर आते थे, तो कमाल करते थे। हम बहुत अच्छा समय बिताते थे। वो वाकई कमाल के अभिनेता हैं। वो काम में सुधार करते हैं।”
यह विरोधाभास ही गोविंदा की शख्सियत का आईना है। एक तरफ वह अपनी लेट-लतीफी से लोगों को परेशान करते थे, तो दूसरी तरफ उनकी उपस्थिति और अभिनय कौशल पूरे सेट में नई जान डाल देता था। उनका “काम में सुधार” करना बताता है कि वह केवल स्क्रिप्ट को फॉलो नहीं करते थे, बल्कि अपनी प्रतिभा से दृश्यों को और बेहतर बनाते थे। यह दर्शाता है कि उनकी कलात्मक प्रतिभा उनकी गैर-पेशेवर आदतों पर भारी पड़ जाती थी, जिसकी वजह से निर्माता और निर्देशक उन्हें बार-बार मौका देते थे।
वापसी का संघर्ष: इंडस्ट्री का क्रूर सत्य
हिमानी शिवपुरी ने एक महत्वपूर्ण और दुखद पहलू भी साझा किया कि ‘हसीना मान जाएगी’ स्टार को इंडस्ट्री में खुद को फिर से स्थापित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। यह बयान बॉलीवुड के उस क्रूर सत्य को दर्शाता है जहां एक समय का सुपरस्टार भी अगर कुछ समय के लिए दूर हो जाए, तो वापसी करना आसान नहीं होता। यह दर्शाता है कि इंडस्ट्री कितनी तेजी से बदलती है और लगातार प्रासंगिक बने रहने के लिए कलाकारों को कितना प्रयास करना पड़ता है।



