Breaking Newsशिक्षा

मतदाता सूची शुद्धिकरण में अव्यवस्थाएँ: एसआईआर प्रक्रिया को सरल बनाना समय की माँग

मतदाता सूची शुद्धिकरण में अव्यवस्थाएँ, प्रशिक्षण की कमी और तकनीकी बाधाएँ बनी बड़ी चुनौती

भारत का आईना | न्यूज़ ब्यूरो | राष्ट्रीय

चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान शुरू किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी प्रक्रिया लोगों और कर्मचारियों दोनों के लिए मुश्किल साबित हो रही है। डिजिटल युग में जहाँ प्रक्रियाएँ आसान होनी चाहिए, वहीं इस अभियान में तकनीकी और प्रशासनिक कमियों ने काम को और उलझा दिया है।

सूत्रों के अनुसार न तो बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) इस प्रक्रिया को पूरी तरह समझ पा रहे हैं और न ही आम मतदाता अपने पुराने रिकॉर्ड—विशेषकर 2003 के पहले के दस्तावेज़—उपलब्ध करा पा रहे हैं। मतदाताओं में यह बड़ी शिकायत भी सामने आई है कि आयोग की वेबसाइट उपयोग में कठिन और अस्पष्ट है, जिससे फॉर्म भरने या विवरण अपडेट करने में भारी परेशानी हो रही है।

स्थिति इतनी विकट है कि दक्षिण और उत्तर भारत के दो राज्यों में दो बीएलओ के आत्महत्या करने की दुखद घटनाएँ भी सामने आई हैं। क्षेत्रीय रिपोर्टों के अनुसार कई स्थानों पर स्थानीय राजनीतिक दबाव भी प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है, जहाँ नेताओं की इच्छा के अनुसार नाम जोड़े या हटाए जाने की शिकायतें मिल रही हैं।

बीएलओ हैंडबुक के अध्याय 1 में स्पष्ट प्रावधान है कि अधिकारी घर-घर जाकर सत्यापन करें, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है—अनेक क्षेत्रों में घर-घर सर्वे नहीं हो रहा। पुराने अनुभव बताते हैं कि कई बार सर्वेयर गांव के प्रभावशाली लोगों के घर बैठकर ही पूरी रिपोर्ट तैयार कर लेते हैं, जिससे आम ग्रामीण दबाव में सही जानकारी नहीं दे पाते। इससे मतदाता सूची में गड़बड़ियाँ और अविश्वास दोनों बढ़ते हैं।

स्पष्ट है कि एसआईआर प्रक्रिया को अधिक सरल, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाना होगा। बीएलओ को समुचित प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और सख्त निर्देश जरूरी हैं ताकि वे प्रत्येक घर तक पहुँचकर वास्तविक विवरण जुटा सकें और उसकी पुख्ता रिपोर्ट आयोग को भेज सकें।

मतदाता सूची शुद्धिकरण लोकतंत्र की बुनियाद है—इसे भरोसेमंद बनाने के लिए प्रक्रिया का सरल, सुरक्षित और जनसुलभ होना अनिवार्य है।

Related Articles

Back to top button