छत्तीसगढ़ कर्मचारी विशेष: क्या महंगाई भत्ते (DA) में देरी से आपको हुआ है ₹2 लाख तक का नुकसान? देखिए यह रिपोर्ट

क्या आप छत्तीसगढ़ शासन के नियमित कर्मचारी हैं? क्या आपको लगता है कि महंगाई भत्ता (DA) देर से मिलने से केवल कुछ हजारों का ही अंतर आता है? अगर हाँ, तो यह रिपोर्ट आपकी आंखें खोल देगी।
हाल ही में किए गए एक विस्तृत वित्तीय विश्लेषण और कर्मचारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे “हस्ताक्षर अभियान” से यह बात सामने आई है कि 2017 से अब तक केंद्र की तुलना में राज्य सरकार द्वारा DA में देरी करने से कर्मचारियों को लाखों का नुकसान हो चुका है।
📊 आंकड़ों का सच: 2017 से 2025 तक का हिसाब
अक्सर हम सोचते हैं कि “देर आए दुरुस्त आए,” लेकिन DA के मामले में यह देरी बहुत महंगी पड़ रही है। यदि हम एक औसत कर्मचारी (जिसका मूल वेतन/Basic Pay ₹40,000 है) का उदाहरण लें, तो नुकसान के आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
-
2017-2019 (छोटा नुकसान): इस दौरान भुगतान में कुछ महीनों की देरी हुई, जिससे लगभग ₹10,000 का एरियर (Arrears) नुकसान हुआ।
-
2020-2021 (कोरोना काल): केंद्र और राज्य दोनों फ्रीज थे, इसलिए अंतर शून्य था।
-
2021-2025 (सबसे बड़ा झटका): यह वह दौर है जब केंद्र सरकार 31%, 34% और आगे बढ़ती गई, लेकिन राज्य सरकार 17% पर ही अटकी रही। इस दौरान जो “गैप” बना, उसका एरियर न मिलने से कर्मचारियों को ₹1.80 लाख से ₹2 लाख का सीधा नुकसान हुआ है।

निष्कर्ष: एक मध्यम वर्गीय कर्मचारी को अब तक लगभग ₹2,00,000 का नुकसान हो चुका है, वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी ₹1,50,000 का घाटा सहना पड़ा है।
🔥 आंदोलन बना जनआंदोलन: “एक मंच, एक मांग”
इस आर्थिक अन्याय के खिलाफ अब छत्तीसगढ़ के कर्मचारी चुप नहीं हैं। ‘एक मंच, एक मांग’ के नारे के साथ एक ऐतिहासिक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है।
अभियान की मुख्य बातें:
-
नेतृत्व: इस मुहीम का नेतृत्व अजाक्स के प्रांताध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण भारती, संयोजक करण सिंह अटेरिया और एस.के. पांडे जैसे वरिष्ठ नेता कर रहे हैं।
-
समर्थन: इंद्रावती भवन और अन्य कार्यालयों में 80% से अधिक कर्मचारियों ने समर्थन दिया है। अब तक 28,000 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों ने हस्ताक्षर कर अपना विरोध दर्ज कराया है।
-
पेंशनर्स भी साथ: सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन पर भी इस देरी का असर पड़ा है, इसलिए वे भी इस मुहीम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
🎥 देखिए वीडियो: क्या कह रहे हैं कर्मचारी नेता?
इस मुद्दे की गंभीरता को समझने के लिए यह वीडियो रिपोर्ट देखें, जिसमें करण सिंह अटेरिया बता रहे हैं कि कैसे यह लड़ाई अब किसी एक संघ की नहीं, बल्कि हर पीड़ित कर्मचारी की है।
[Youtube Video Embed Placeholder: https://youtu.be/UropoPshd4Y] (वीडियो साभार: इनसाइट विथ एल के)
❓ हमारी मांगें क्या हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स और “भारत का आईना” के अनुसार, कर्मचारी संगठनों की मांगें स्पष्ट हैं:
-
केन्द्र के समान तिथि से भुगतान: जिस दिन (1 जनवरी या 1 जुलाई) केंद्र सरकार DA लागू करती है, राज्य भी उसी दिन से नकद भुगतान करे।
-
एरियर का भुगतान: जो पैसा सरकार ने “लैप्स” मान लिया है या नहीं दिया है, उसे एरियर के रूप में या जीपीएफ में जमा किया जाए।
-
देरी बंद हो: भविष्य में आदेश जारी करने में जानबूझकर देरी न की जाए।
✍️ आपकी राय
क्या आपको भी लगता है कि DA का एरियर न मिलना आपके अधिकारों का हनन है? क्या आपने इस हस्ताक्षर अभियान में हिस्सा लिया? नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर दें और इस पोस्ट को अपने साथी कर्मचारियों के साथ शेयर करें ताकि वे भी अपने नुकसान का सही आकलन कर सकें।




